केदारनाथ यात्रा 2019
नमस्कार दोस्तो
उत्तराखंड जिसे दुनिया का स्वर्ग कहा जाए तो गलत नही होगा। यहाँ आपको हजारो सालो पुराने मंदिरो के दर्शन करने को मिलेंगे साथ ही माँ गंगा के जल में नहाने का सौभाग्य भी प्राप्त होगा। तो हम आपको लेकर चलते है केदारनाथ ।
जून 2019 में केदारनाथ जाने का मौका मिला उसके कुछ यादगार पल आप सबसे शेयर कर रहा हु | भगवान शिव का पावनधाम जो कि एक ज्योतिलिंग भी है केदारनाथ जाने के लिए आपको सबसे पहले हरिद्वार जाना पड़ेगा । हरिद्वार जाने के लिए रेलवे , बस की सुविधा सब जगह से उपलब्ध है दिल्ली से हरिद्वार करीबन 220 किलोमीटर है हरिद्वार आप 1 दिन रुक के वहा गंगा जी के दर्शन व गंगा आरती देख सकते है वहां से आपको ऋषिकेश जाना होगा जो कि तकरीबन हरिद्वार से 20 किलोमीटर है ।
ऋषिकेश से ही आपको सोनप्रयाग के लिए आपको बस मिल जाएगी जो सुबह जल्दी करीबन 4-5 चलती है उसके बाद 11 बजे के पास भी एक रोडवेज़ की बस है । आओ चाहे तो कार से भी जा सकते है पर बस आपको सस्ती रहेगी बस में करीबन सोनप्रयाग करीबन 500 रुपये में पहुंचा जा सकता है। ऋषिकेष से सोनप्रयाग जाने के लिए बस से करीबन 8-10 घंटे का समय लगता । रास्ते मे आपको कही ऊंचे ऊंचे पहाड़, कही तेज़ आवाज करती नदिया दिखाई देगी।
सोनप्रयाग पहुंच कर आप रात को वही रुक जाए आपको वहा होटल की सुविधा मिल जाएगी। अगर आपका बजट कम है तो सोनप्रयाग से 2 किलोमीटर पहले होटल में आपको कम रूपये में भी होटल मिल जायेंगे। सुबह वहाँ से 3 बजे जल्दी उठ के तैयार होके आपको पुल के पास आना होगा। वहां से आपको छोटी गाड़ी से गौरीकुंड ले जाया जाएगा क्योकि वहा रास्ता सँकड़ा है सोनप्रयाग से गौरीकुंड करीबन 5 किलोमीटर ही है।
गौरीकुंड से शुरू होता है केदारनाथ धाम का रास्ता जो कि करीबन 20 से 22 किलोमीटर पैदल का है । यहाँ से आप पैदल चढ़ाई शुरू कर सकते है नही तो खच्चर या पालकी से भी जा सकते है। हेलीकॉप्टर की भी सुविधा आपको यहा मिल जाएगी। हेलीकॉप्टर आपको फाटा ओर गौरीकुंड से मिलेगा ।केदारनाथ का रास्ता बहुत कठिन है बीच बीच मे आपको खाने पीने की सुविधाएं मिलती रहेगा। मेडिकल की सुविधाएं भी यहाँ उत्तराखंड सरकार की तरफ से निशुल्क है। जगह जगह पानी की व्यवस्था भी है। रास्ते मे कभी भी बारिश शुरू हो सकती है तो बारिश से बचाव के कपडे ओर बरसाती साथ मे जरूर रखे । यहां ठंड भी बहुत रहती है तो अपना विशेष ध्यान रखे ।
केदारनाथ रास्ते मे आपको बर्फ से ढके बड़े बड़े पहाड़ दिखेंगे तो कही गहरी खाईया मिलेगी। जिन लोगों को सांस से सम्बंधित कोई बीमारी हो उन्हें विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। खच्चर मंदिर परिसर से 1 किलोमीटर पहले ही छोड़ देते है। हेलीकॉप्टर आपको 500 मीटर पहले छोड़ेगा। केदारनाथ में आपको रहने के लिए होटल व गेस्ट हाउस की सुविधा मिल जाएगी । टेंट हाउस की भी सुविधा आपको यही मिलेंगी जो कि करीबन 300-500 रुपये पर व्यक्ति मिल जाएगी। खाने कर लिए यहा 200 रुपये पर प्लेट खाना मिल जाएगा ।
केदारनाथ पहुंचते ही आपको ऐसा लगेगा कि आप स्वर्ग में आ गए ऐसा दृश्य आपने कही नही देखा होगा । मंदिर में दो समय के दर्शन होते है सुबह 4 बजे मंदिर में आप जल चढ़ा सकते हो आपको लिंगी के दर्शन होंगे और रात को आपको केदारनाथ बाबा के श्रृंगार के दर्शन करवाये जाते है। मंदिर का बाहर का प्रांगण बहुत बड़ा है। अगर आपको दर्शन करने है तो आपको 3 बजे ही लाइन में लगना होगा बाद में करीबन 1-2 किलोमीटर की लाइन लग जाती है । मंदिर के पीछे ही भीमशीला है ये वही भीमशीला है जिसकी वजह से आपदा आने पर पानी का रास्ता बदला था ।
केदारनाथ में ही 1 किलोमीटर की दूरी पर पहाड़ पर भैरुनाथ बाबा का मंदिर है कहा जाता है कि केदारनाथ के दर्शन करने के बाद भैरुनाथ बाबा के दर्शन करने जरूरी है नही तो यात्रा पूरी नही मानी जाती।
केदारनाथ से करीबन 8-9 किलोमीटर दूर पहाड़ो पर वासुकि ताल है कहा जाता है कि ये वासुकि नाथ सर्प जो भगवान शिव के गले मे है उनकी जगह है। यही पर ब्रह्म कमल खिलता है जो कि भगवान शंकर को सबसे प्रिय है
केदारनाथ मंदिर के पीछे की तरफ दिखने वाले बर्फ से ढके विशाल पहाड़ो में ही कुबेर पर्वत व ब्रह्म गुफा है कहा जाता है कि इसी पर्वत के पीछे ही बद्रीनाथ धाम है
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